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हरिहरपुरी की कुण्डलिया




हरिहरपुरी की 

 कुण्डलिया


जनता से मिलते रहो, सुनना उसकी बात।


बात-बात में मत करो, जनता पर आघात।।


जनता पर आघात, होत है बहुत अपावन।

पापों का यह ढेर, नहीं बनता मधु सावन।।

कहें मिसिर कविराय,बहे धरती पर समता।

मन में हो आह्लाद, रहे खुश सारी जनता।





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3 Comments

बेहतरीन

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Sachin dev

06-Jan-2023 06:07 PM

Well done

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Gunjan Kamal

05-Jan-2023 08:43 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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